अब कूच करो मंज़िल की तरफ़

अब बोहोत हुई ये बेकारी
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़
तुम देख चुके दुनिया सारी अब
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़

तुम नाम ओ निशान बना भी चुके
शोहरत के मकान बना भी चुके
तुम्हें जान चुकी दुनिया सारी
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़

बस इल्म ओ अदब का ढोंग हुआ
जीना भी ग़ज़ब का ढोंग हुआ
अब खेल नया और नई पारी
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़

सब बातें वातें हो भी चुकीं
बेखाबी की रातें हो भी चुकीं
अब छोड़ दो दिल की मक्कारी
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़

ये अमन ओ अमान के ख़ाब भले
ये राहत ए जान के ख़ाब भले
पर सच तो है दिल की बेज़ारी
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़
सब अबू तुराब को जान गए

सब उसके हुनर को मान गए
वो हो भी चुका अब बाज़ारी
अब कूच करो मंज़िल की तरफ़

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