और नीलकंठ बनूँ मैं

तू इक विष का प्याला हो
और नीलकंठ बनूँ मैं
फिर तांडव हो
नृत्य हो
जल थल
भूतल हो

तेरी गुथी हुई जटाओं से
लिपटूँ मैं सर्प बनूँ
और तांडव हो
नृत्य हो
जल थल
भूतल हो
तीन लोक में हलचल हो
तांडव हो नृत्य हो
जल थल भूतल हो !
 
(अबू तुराब नक़वी )

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