रंगरेज़ की डिब्बियों से निकल रंग कब राजनीति का हिस्सा बन गए इसका आभास वर्णांध लोगों को न हुआ हो तो इसमे हैरत की कोई बात नहीं । लाल, हरा , पीला, केसरया और बसंती सब विभिन्न विचारधाराओं की रंगाई पुताई में इस्तेमाल होते रहे हैं । हैरत की बात तो ये है कि आँखों को भाने वाले ये रंग लोगों की घबराहट का कारण भी बनते हैं । किसी किसी की आँखें हरा देखकर चौंधिया जाती हैं तो किसी की केसरया । कुछ लोगों को लाल और बसंती भी फूटी आँख नहीं भाते । राजनीति रंगलीला भी है ।
रंगरेज़ की डिब्बियों से निकल रंग कब राजनीति का हिस्सा बन गए इसका आभास वर्णांध लोगों को न हुआ हो तो इसमे हैरत की कोई बात नहीं । लाल, हरा , पीला, केसरया और बसंती सब विभिन्न विचारधाराओं की रंगाई पुताई में इस्तेमाल होते रहे हैं । हैरत की बात तो ये है कि आँखों को भाने वाले ये रंग लोगों की घबराहट का कारण भी बनते हैं । किसी किसी की आँखें हरा देखकर चौंधिया जाती हैं तो किसी की केसरया । कुछ लोगों को लाल और बसंती भी फूटी आँख नहीं भाते । राजनीति रंगलीला भी है ।
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